बहार अंधेरा,तो चिराग जलाने
से चारो ओर होगा उजाला ।
भीतर अंधेरा तो क्या जलाए ?
भीतर अंधेरा तो प्रेम श्रध्धा और
विश्र्वास का जलाए दिप ।
ज्ञान का दिपक और भक्ति की
बाती से आत्मा का दिप जलाए ।
आत्मिय सद् गुण का प्रकाश से
भीतर जागेगा प्रेम श्रध्धा
और विश्र्वास तो, होगा
दूर अंधेरा भीतर का ।
भीतर उजाला तो बहार भी
उजाला, दूसरों के भितर भी
जगाए उजाला लेकिन,
बहार का उजाला भीतर में
नही कर शकता उजाला ।
न बहार का अंधेरा भीतर
कर शकेगा अंधेरा ।
विनोद आनंद 24/03/2017 फ्रेन्ड,फिलोसोफर,गाईड