हम कैसे जीते है ?
जरा निरीक्षण करो, क्या
हम विचार शून्य जीते है ?
कुछ भी बोले या करो तो,
पहले करो विचार कि
सही है, तो बोलो या करो ।
तो जीवन विचार शून्य नही है ।
क्या हम लक्ष्य हीन जीते है ?
जीवन में क्या बनना है ?
जीवन कैसे जीना है
पहेले से तय होना चाहीए
फिर जीवन जीना है ।
तो जीवन लक्ष्य हीन नही है ।
क्या हम रोते हुए
दुखी होते जीते है ?
कुछ भी मिले और
कुछ भी हो वो हमारे
कर्मो का फल है ।
हमे हसी खुशी से
सहन करना है और
कुछ हकारात्मक सोच से
अच्छा करना है तो
भविष्य हो खुश खुशाल तो
जीवन रोते हुए, दु:खी न हो ।
हम कैसे जीते है ?
खुद के निरीक्षण में जीओ ।
विनोद आनंद 01/08/2017 फेंन्ड, फिलोसोफर,गाईड