2656 धोखा-बेवफाई-शुक्रिया

गलती तेरी नहि थी कि
तुने मुझे धोखा दिया,
गलती तो मेरी थी कि
मैं ने तम्हे मौका दिया ।
धोखा आपने नहि मेरी
उमीद ने दिया जो आप
से रखी थी ।मैंने समझा
मैं तेरे लिए खास हूँ, तेरी
बेरूखी ने समझा दिया
कि मैं एक जूठी आश हूँ ।
नसीब से ज्यादा भरोशा
किया, नसीब नहि बदला
लेकिन तु बदल गए ।
धोका देने के लिए शूक्रिया
तु नहि मिलते तो दुनिया
समझ में नही आती । तेरी
बेरूखी और बेवफा के लिए
जिंदगी लुटादी हमने,सोचो
तुम बफा करते तो क्या करते ।
बफा कि उमीद भी किसे करे,
मिट्टी का बना ईन्सान कागज
के टुकडो के लिए बीक जाता है ।
लोग मरने कि आरजू नहि करते
अगर महोबत में लोग बेवफाई
नहि करते । कितनाम भी निभालो
रिश्ते लेकिन बदलने वाले बदल
ही जाते है, उन में से तुम नहि हो
जूठे वादे, मीठी बातें कसमे खाते
है, लोग सिर्फ वक्त गुजारने के लिए ।
विनोद आनंद 08/07/2021
फेन्ड फिलोसोफर गाईड

843  खुशामत

खोटी प्रशंसा, जूठ्ठि प्रशंसा 

मतलबी प्रशंसा,खुश करने कि

खातर जो प्रशंसा कि जाती है

वो प्रशंसा नही वो है खुशामत ।

कुछ काम के लिए बीन लायकात, 

तारिफ करना खुशामत है ।

खुशामत खुदा को भी है प्यारी

हम तो ईन्सान है प्रशंसा के

खुशामत का भेद नहीं समजे ।

आखिर जब मतलब पूरा हो जाए

तब ईन्सान कि प्रशंसा का रहस्य 

खूल जाता है फिर क्या करना ।

खुशामत करने वाले को पहेचानो

उन के अभिनय को पहेचानो 

तो फिर उन के ईरादे को

नाकामियाब कर शकते है ।

सचे दिल से कि गई तारिफ

मान सन्मान और प्रतिष्ठा है ।

खुशामतखोरो से दूर रहो 

उन से रिश्ता न जोडो वरना

खोटी प्रशंसा करके खुश होंगे ।

खुशामत प्रपंच, छल कपट और

धोके के अलावा कुछ भी नहीं  ।

प्रशंसा सच्चाई और प्रेरणा के

अलावा कुछ भी नहीं  ।

विनोद आनंद                                11/07/2017

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