गलती तेरी नहि थी कि
तुने मुझे धोखा दिया,
गलती तो मेरी थी कि
मैं ने तम्हे मौका दिया ।
धोखा आपने नहि मेरी
उमीद ने दिया जो आप
से रखी थी ।मैंने समझा
मैं तेरे लिए खास हूँ, तेरी
बेरूखी ने समझा दिया
कि मैं एक जूठी आश हूँ ।
नसीब से ज्यादा भरोशा
किया, नसीब नहि बदला
लेकिन तु बदल गए ।
धोका देने के लिए शूक्रिया
तु नहि मिलते तो दुनिया
समझ में नही आती । तेरी
बेरूखी और बेवफा के लिए
जिंदगी लुटादी हमने,सोचो
तुम बफा करते तो क्या करते ।
बफा कि उमीद भी किसे करे,
मिट्टी का बना ईन्सान कागज
के टुकडो के लिए बीक जाता है ।
लोग मरने कि आरजू नहि करते
अगर महोबत में लोग बेवफाई
नहि करते । कितनाम भी निभालो
रिश्ते लेकिन बदलने वाले बदल
ही जाते है, उन में से तुम नहि हो
जूठे वादे, मीठी बातें कसमे खाते
है, लोग सिर्फ वक्त गुजारने के लिए ।
विनोद आनंद 08/07/2021
फेन्ड फिलोसोफर गाईड
Tag Archives: धोका
843 खुशामत
खोटी प्रशंसा, जूठ्ठि प्रशंसा
मतलबी प्रशंसा,खुश करने कि
खातर जो प्रशंसा कि जाती है
वो प्रशंसा नही वो है खुशामत ।
कुछ काम के लिए बीन लायकात,
तारिफ करना खुशामत है ।
खुशामत खुदा को भी है प्यारी
हम तो ईन्सान है प्रशंसा के
खुशामत का भेद नहीं समजे ।
आखिर जब मतलब पूरा हो जाए
तब ईन्सान कि प्रशंसा का रहस्य
खूल जाता है फिर क्या करना ।
खुशामत करने वाले को पहेचानो
उन के अभिनय को पहेचानो
तो फिर उन के ईरादे को
नाकामियाब कर शकते है ।
सचे दिल से कि गई तारिफ
मान सन्मान और प्रतिष्ठा है ।
खुशामतखोरो से दूर रहो
उन से रिश्ता न जोडो वरना
खोटी प्रशंसा करके खुश होंगे ।
खुशामत प्रपंच, छल कपट और
धोके के अलावा कुछ भी नहीं ।
प्रशंसा सच्चाई और प्रेरणा के
अलावा कुछ भी नहीं ।
विनोद आनंद 11/07/2017
फेंन्ड, फिलोसोफर,गाईड