838 नज़रिया

अच्छाई में बूराई देखने कि

होती हो बूरी आदत ।

जैसी सोच वैसा नज़रिया 

जैसा नज़रिया बैसी आदत, 

यह है नकारात्म नज़रिया ।

बूराई में अच्छाई देखने कि

होती हो अच्छि आदत ।

जैसी सोच वैसा नज़रिया 

जैसा नज़रिया बैसी आदत, 

यह है सकारात्मक नज़रिया ।

कई लोग हो ते है मख्खी कि तरह 

जिसे गंदकि हि रास आती है

तो कई लोग हो ते मधुमख्खी कि

तरह जिसे दूर्गंध नही फूलो कि 

खुशबू ही रास आती है ।

कई लोग हो ते है कौवे कि तरह 

जिसी वाणी होती है कटु।

तो कई लोग हो ते कोयल कि

तरह जिसी वाणी होती है मीठी।

अच्छि सोच रखना तो अच्छा

बनेगा नज़रिया और आदत,  

जीवन बनेगा का अच्छा ।

बूराई से नही रखना रिश्ता 

तो हर रिश्ता होगा कामीयाब ।

विनोद आनंद                                07/07/2017    फेंन्ड, फिलोसोफर,गाईड

​ढूंढते है हम जो खो गया है

​ढूंढते है हम जो खो गया है

लेकिन क्या खो गया ? 

सुख, चैन, और शांति ।

सब कुछ है मगर 

सुख, चैन और शांति नही है ।

क्यूकि हम उन्हे जहाँ नही है

वहाँ ढूंढते है, बेखर है हम ।

हम चीजों में,धन दौलत में

ढूंढते है सुख, चैन,और शांति ।

शायद मिल भी जाय तो, 

वो नही है  शाश्र्वत ।

तो कहाँ है सुख, चैन, शांति ।

ज्ञानी कहते है कि वो 

मनुष्य के अतःकरण में 

गहरी निंद में सोई है ।

उन्हे जगाना है,लेकिन कैसे ? 

अपनी सोच,नजरिया और

मान्यता बदलनी है । 

हम शरीर के निवासी 

अविनासी,नित्य आत्मा है, 

जो अंश है परमात्मा का ।

हमारे अत:करण में जो है वो

भूल चूके है,उसे बहार ढूंढते है ।

बस सिर्फ याद करना है और

जिवन में सद् विचार और

सद् आचरण करना है, तुम्हे

शाश्र्वत सुख, चैन, और 

शांति अवश्य मिल जाएगी ।

विनोद आनंद                            07/01/2017      फेंन्ड, फिलोसोफर,गाईड