अच्छाई में बूराई देखने कि
होती हो बूरी आदत ।
जैसी सोच वैसा नज़रिया
जैसा नज़रिया बैसी आदत,
यह है नकारात्म नज़रिया ।
बूराई में अच्छाई देखने कि
होती हो अच्छि आदत ।
जैसी सोच वैसा नज़रिया
जैसा नज़रिया बैसी आदत,
यह है सकारात्मक नज़रिया ।
कई लोग हो ते है मख्खी कि तरह
जिसे गंदकि हि रास आती है
तो कई लोग हो ते मधुमख्खी कि
तरह जिसे दूर्गंध नही फूलो कि
खुशबू ही रास आती है ।
कई लोग हो ते है कौवे कि तरह
जिसी वाणी होती है कटु।
तो कई लोग हो ते कोयल कि
तरह जिसी वाणी होती है मीठी।
अच्छि सोच रखना तो अच्छा
बनेगा नज़रिया और आदत,
जीवन बनेगा का अच्छा ।
बूराई से नही रखना रिश्ता
तो हर रिश्ता होगा कामीयाब ।
विनोद आनंद 07/07/2017 फेंन्ड, फिलोसोफर,गाईड