निराशा मानवी का
महान शत्रू और
जानलीवा रोग ।
जिस मानवी में, उत्साह
आशा और आत्मविश्र्वास
कि कमी हो तब निराशा
उसे घेर लेती है ।
निराशा एक नकारात्मक
द्रष्टि कोण उसे हारात्मक
द्रष्टि कोण से देखो ।
निराशा में आशा का दिप
जलाओ तो निराशा का
अंघेरा दूर हो जाएगा ।
निराशा को गले मत लगाओ
उसे मन में पनाह मत दो
वरना वो जीवन में उदासी,
अशांति और हताशा भर देगी
और जीवन में आत्महत्या कि
प्रेरणा देगी ईसलिए निराशा
को आसपास भटकने न दो ।
वरना वो छिन लेगी जीने का
उत्साह और जिजिवीशा ।
सावधान जीवन कि हर
परिस्थिति में उत्साह,
आशा और आत्मविश्र्वास
बनाए रखना निराशा को
भगाने के लिए । निराशा
भगाओ आशा जगाओ ।
निराशा मृत्यु, आशा जीवन
विनोद आनंद 25/10/2017 फेंन्ड, फिलोसोफर,गाईड